

तारा रानी , जिन्हें ताराबाई भी कहा जाता है, मराठा साम्राज्य के महान योद्धा और छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र, छत्रपति राजाराम महाराज की पत्नी थीं। तारारानी का जन्म एक प्रभावशाली परिवार में हुआ था, और उनके जीवन की कहानी भारतीय इतिहास में एक प्रमुख स्थान रखती है। राजाराम के साथ विवाह के बाद, तारारानी ने न केवल एक पत्नी के रूप में बल्कि एक सेनानी और शासिका के रूप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जब 1689 में छत्रपति शिवाजी महाराज का निधन हुआ, उसके बाद मराठा साम्राज्य संकट में था। इसके बाद राजाराम महाराज ने सत्ता संभाली, लेकिन जल्द ही उन्हें और उनके राज्य को बहुत बड़े संकट का सामना करना पड़ा। 1700 में, राजाराम महाराज के खिलाफ औरंगजेब ने हमला किया और उन्हें कोंकण क्षेत्र में भागने पर मजबूर किया। इस कठिन समय में तारारानी ने न केवल अपने पति की मदद की बल्कि खुद भी अपनी सेना का नेतृत्व किया और मराठा साम्राज्य की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत की।
तारारानी की वीरता और नेतृत्व क्षमता को उनके युद्ध कौशल और धैर्य से जाना जाता है। जब राजाराम के नेतृत्व में युद्धों की दिशा बदलने की आवश्यकता थी, तारारानी ने अपनी चतुराई और साहस से यह सुनिश्चित किया कि मराठा साम्राज्य को औरंगजेब की सेना के खिलाफ सफलता मिले। उनका योगदान मराठा इतिहास में एक प्रेरणा बनकर उभरा और वे एक महान महिला योद्धा के रूप में समादृत हैं।
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