
Bramha देव की पूजा क्यूँ नहीं होती ? जानिए पौराणिक ,धार्मिक और सामाजिक कारण ,मंदिरों की कमी और कथा आधारित रहस्य ।

Bramha देव की पूजा क्यूँ नहीं करते ?
- Brahma हिन्दू धर्म के प्रमुख त्रिदेव मैं से एक हैं।
- विष्णु पालनकर्ता और शिव संहार कर्ता माने जाते हैं।
- brahma को सृष्टि का रचयिता कहा जाता हैं।
- फिर भी brahma की पूजा बहुत कम होती हैं।
- भारत मैं शायद ही कोई मंदिर ब्रह्म को समर्पित हो।
- Brahma की पूजा न होने के पीछे की मान्यताएं हैं ।
- यह सवाल वर्षों से कई लोगों के मन हैं।
- पौराणिक , धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से इसके कारण हैं ।
Brahma कौन हैं?
- Brahma सृष्टि के निर्माता कहे जाते हैं ।
- चार मुख और चार हाथों से इनका चित्रण होता हैं।
- संसार की शुरु वात इन्हीं से मानी जाती हैं।
- इन्होंने वेदों की रचना की थी ।
- देवी सरस्वती को इनको पत्नी माना जाता हैं ।
- ब्रह्मांड की उत्पती brahma से ही हुए हैं।
- यह सत्व गुण के प्रतीक जाने है।
- फिर भी brahma का सन्मान विष्णु और शिव जितना नहीं हैं।
Brahma की पूजा क्यू नहीं होती ?
- एक कथा के अनुसार ब्रह्म ने झुट बोल था ।
- उन्होंने शिव से श्रेष्ठ बनने की कोशिश की थी ।
- इसलिए शिवा ने उन्होंने श्राप दिया।
- इस श्राप की वजह से उनकी कही भी पूजा नहीं होती।
- इसी कथा को प्रमुख कारण माना गया है।
- शिवलिंग की उत्पत्ति से जुड़ी कहानी मैं यह वर्णन मिलता हैं।
- यही सबसे प्रचलित कारण माना जाता हैं।
देवी सरस्वती को पत्नी मानने का विवाद।
- एक कथा के अनुसार उन्होंने सरस्वती देवी को विवाह योग्य माना ।
- ब्रह्मा ने अपनी सृष्टि का कार्य देवी सरस्वती से शुरू किया।
- brahma और सरस्वती जे रिश्ते क समाज ने ठीक नहीं माना ।
- इसलिए उनकी छवि प्रभावित हुए।
- लोगों ने उसे अनैतिक माना ।
- इस कथन का विरोध आज भी होता हैं।
- धार्मिक ग्रंथों मैं इसे अलग अलग रूप से बताया गया ।
Brahma के मंदिर इतने कम क्यू है ?
- केवल कुछ गिने चुने मंदिर ही Brahma को समर्पित हैं।
- राजस्थान के पुष्कर मैं ब्रह्म का मंदिर हैं।
- यह मंदिर भी विशिष्ट पौराणिक कारणों से हैं।
- अनन्य कही प्रमुख मंदिर नहीं मिलते ।
- शिव और विष्णु के मंदिर हर शहर मैं होते हैं।
- यह उनकी पूजा न होने का प्रमाण भी हैं।
- श्रद्धालु इन्हे पूजा मैं शामिल नहीं करते।
धार्मिक ग्रंथों मैं ब्रह्म की भूमिका
- वेदों और पुराणों मैं ब्रह्म का उल्लेख हैं।
- उन्हें सृष्टि के निर्माण कर्ता बताया गया हैं।
- ग्रंथों मैं इनकी भूमिका सुरुवात मैं महत्त्वपूर्ण रही।
- समय के साथ शिव और विष्णु की भूमिका बढ़ी ।
- ब्रह्म की उपासना मैं कमी आई।
- पुराने मैं उनकी पूजा विधि सीमित बताई गई।
- उनकी भक्ति से जुड़ी katha भी कम हैं।
- इसीलिए पूजा प्रचलन मैं नहीं रही।
समाज मैं brahma की छवि
- आम जनमानस मैं ब्रह्म की छवि मजबूत नहीं रही।
- बच्चे भी शिव और विष्णु की ही कहानियाँ सुनते हैं ।
- Brahma से जुड़ी कथाएँ कम सुनाई जाती हैं।
- इनकी उपासना का पर्व भी नहीं हैं।
- जन्माष्टमी , शिवरात्रि , रामनवमी जैसे त्योहार शिव-विष्णु को समर्पित हैं।
- Brahma के लिए ऐसा कोई पर्व नहीं मनाया जाता।
- सामाजिक रूप से इनकी भूमिका कमजोर हो गई ।
- पूजा से जुड़ी परंपरा समय के साथ समाप्त हो गई ।
- सामाजिक रूप से इनकी भूमिका कमजोर हो गई ।
श्रद्धा और दर्शन का दृष्टिकोण
- श्रद्धालु अक्सर भगवान मैं दया और कृपा खोजते हैं।
- Bramha को कभी भी न्यायादिश या रक्षक नहीं माना गया ।
- विष्णु रक्षक और शिव संहारक के रूप मैं पूजे जाते हैं।
- ब्रह्म जी की छवि केवल निर्माण तक ही सीमित रह गई।
- भक्ति की भावना मैं ब्रह्म प्रमुख नहीं बन पाएँ ।
- उनके मंदिरों मैं भक्तों की संख्या भी बहुत कम रहती हैं।
- समय के साथ कोई भी bramha को नहीं पूजता।
कुछ प्रमुख brahmaji के मंदिर
- पुष्कर (rajstan ) – एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर।
- Trambakeshwar (Maharashtra)।
- केरल और कर्नाटक मैं कुछ छोटे मोठे मदिर हैं।
- नेपाल मैं भी ब्रह्म के कुछ मंदिर पाए जाते हैं।
- लेकिन इनकी संख्या नगण्य हैं।
- श्रद्धालु की भीड़ अन्य देवताओं से तुलना मैं कम हैं ।
सारांश
- brahma को सृष्टि का रचयिता माना जाता हैं।
- फिर भी उनकी पूजा लगभग नहीं होती ।
- सामाजिक दृष्टिकोण से उनकी भूमिका कमजोर होती हैं।
- मंदिरों की कमी ने उनकी भक्ति को सीमित किया ।
- शिव और विष्णु की तुलना मैं उनकी उपासना नहीं होती ।
- धार्मिक साहित्य मैं brahma की कहानियाँ कम हैं।
- आज भी इस विषय पर चर्चा और अध्ययन जरूरी हैं।