Jallianwala bagh हत्याकांड: भारत के इतिहास का काला अध्याय
April 3, 2025 | by ravipawar86@gmail.com

Jallianwala bagh हत्याकांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक काला अध्याय है। यह घटना 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अमृतसर, पंजाब में हुई थी। इस नरसंहार ने पूरे देश को हिला कर रख दिया और ब्रिटिश हुकूमत के क्रूर चेहरे को उजागर किया।

Jallianwala bagh हत्याकांड की पृष्ठभूमि
रॉलेट एक्ट का विरोध
- ब्रिटिश सरकार ने 1919 में रॉलेट एक्ट लागू किया, जिससे बिना मुकदमे के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता था।
- भारतीयों ने इस कानून का विरोध किया और कई जगह प्रदर्शन हुए।
- अमृतसर में भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए जा रहे थे।
ब्रिटिश हुकूमत की बर्बरता
- 10 अप्रैल 1919 को अमृतसर में दो प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों, सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया।
- इस गिरफ्तारी से जनता भड़क उठी और विरोध प्रदर्शन करने लगी।
- ब्रिटिश अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलवाई, जिससे कई लोग मारे गए।
Jallianwala bagh हत्याकांड की घटना
13 अप्रैल 1919 – बैसाखी का दिन
- बैसाखी के पर्व पर हजारों लोग जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए थे।
- भीड़ में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे।
- सभा का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की नीतियों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना था।
जनरल डायर का अमानवीय निर्णय
- ब्रिटिश सेना के जनरल रेजिनाल्ड डायर ने बिना किसी चेतावनी के सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दिया।
- सैनिकों ने लगभग 10 मिनट तक अंधाधुंध गोलियां चलाईं।
- बाग का एकमात्र निकास मार्ग बंद था, जिससे लोग बाहर नहीं निकल सके।
शिकार बनी निर्दोष जनता
- हजारों निहत्थे लोगों को गोलियों से भून दिया गया।
- कई लोग जान बचाने के लिए कुएं में कूद गए और वहीं दम तोड़ दिया।
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार 379 लोग मारे गए, जबकि वास्तविक संख्या 1000 से अधिक थी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के प्रभाव
राष्ट्रीय आक्रोश और विरोध
- इस घटना से पूरे भारत में आक्रोश फैल गया।
- रवींद्रनाथ टैगोर ने विरोध स्वरूप अपनी नाइटहुड की उपाधि लौटा दी।
- महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू किया।
ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया
- घटना की जांच के लिए हंटर आयोग का गठन किया गया।
- जनरल डायर को सेवा मुक्त कर दिया गया, लेकिन ब्रिटिश संसद में उसकी प्रशंसा की गई।
- भारत में ब्रिटिश हुकूमत के प्रति नफरत और अधिक बढ़ गई।
जलियांवाला बाग स्मारक
- भारत सरकार ने 1951 में जलियांवाला बाग को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया।
- यहां एक शहीद स्मारक, दीवारों पर गोलियों के निशान और शहीदी कुआं मौजूद हैं।
- यह स्थल आज भी स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाता है।
जलियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस घटना ने देशवासियों को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुट किया और स्वतंत्रता आंदोलन को और गति दी। यह क्रूरता हमेशा इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में याद रखी जाएगी।
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