Prithviraj Chauhan :”चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान”
March 29, 2025 | by ravipawar86@gmail.com

Prithviraj Chauhan, भारतीय इतिहास के सबसे वीर योद्धाओं में से एक थे। उन्होंने अपनी अदम्य साहस और वीरता से कई युद्ध लड़े। उनका सबसे प्रसिद्ध युद्ध मोहम्मद गौरी के खिलाफ था। इस युद्ध के बाद उन्हें बंदी बना लिया गया और अपमानित किया गया। लेकिन उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक लड़ाई जारी रखी और अपनी वीरता से इतिहास में अमर हो गए।

“चार बांस चौबीस गज…” दोहे का ऐतिहासिक संदर्भ
- दोहे का अर्थ: चार बांस (लगभग 100 गज) की दूरी पर सुल्तान (गौरी) बैठा है, निशाना साधो और वार करो।
- कवि चंदबरदाई: यह दोहा कवि चंदबरदाई ने पृथ्वीराज चौहान को संकेत देने के लिए कहा था।
- धनुर्विद्या कौशल: पृथ्वीराज चौहान ने बिना आंखों के केवल ध्वनि के आधार पर निशाना साधकर मोहम्मद गौरी को मार गिराया।
Prithviraj Chauhan का जीवन परिचय
- जन्म: 12वीं शताब्दी में चौहान वंश में हुआ।
- राजधानी: अजमेर और दिल्ली।
- उपलब्धियां: युद्ध कला में निपुण, भारत के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक।
- महत्वपूर्ण युद्ध: प्रथम और द्वितीय तराइन युद्ध (1191 और 1192)।
Prithviraj Chauhan का तराइन का पहला युद्ध (1191)
- मोहम्मद गौरी की हार: Prithviraj Chauhan ने मोहम्मद गौरी को हराया और दया दिखाते हुए उसे छोड़ दिया।
- रणनीतिक चूक: गौरी ने विश्वासघात कर दोबारा हमला किया।
तराइन का दूसरा युद्ध (1192)
- पृथ्वीराज की हार: गौरी ने बड़ी सेना से हमला किया और पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया।
- दिल्ली की हार: भारत के अंतिम स्वतंत्र हिंदू सम्राटों में से एक हार गए।
Prithviraj Chauhan की कैद और बदला
- अमानवीय यातनाएं: गौरी ने उन्हें बंदी बनाकर आंखें फोड़ दीं।
- ध्वनि के आधार पर निशाना: चंदबरदाई ने संकेत दिया और पृथ्वीराज ने सटीक निशाना लगाकर गौरी को मार दिया।
- वीरगति: बाद में पृथ्वीराज और चंदबरदाई ने आत्मबलिदान कर लिया।
वीरता और प्रेरणा का स्रोत
- रणनीति और कौशल: बिना आंखों के भी निशाना साधने की क्षमता।
- आत्मसम्मान: अंतिम समय तक हार नहीं मानी।
- इतिहास में योगदान: एक महान योद्धा और रणनीतिकार के रूप में प्रसिद्ध।
क्या यह घटना ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित है?
- लोककथा: यह कहानी “पृथ्वीराज रासो” में वर्णित है।
- इतिहासकारों का मत: कुछ इसे किंवदंती मानते हैं, जबकि कुछ इसे सत्य मानते हैं।
- भारत के वीर योद्धाओं की गाथा: यह घटना शौर्य और वीरता का प्रतीक मानी जाती है।
पृथ्वीराज चौहान का योगदान
- संस्कृति और धर्म: हिंदू संस्कृति और सैन्य गौरव के प्रतीक।
- भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय: उनकी वीरता आज भी प्रेरणा देती है।
- योद्धा और राजा: एक महान शासक और युद्ध नायक।
- पृथ्वीराज चौहान की कहानी साहस, आत्मसम्मान और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने अंतिम सांस तक अपने गौरव और वीरता को बनाए रखा। उनकी यह गाथा आज भी हर भारतीय के दिल में जोश और प्रेरणा जगाती है।
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